नमस्कार दोस्तों, आज हम बतायेंगे की बंजारो की उत्पति कैसे हुई?? हम ये भी बताएँगे की भगवान शिव के पांचों गणों के नाम क्या है जिससे बंजारा जाति की उत्पति हुई?? यानि बंजारो की उत्पति का सच क्या है?? बंजारों की उत्पत्ति का इतिहास क्या है?? ये भी एक बहुत बड़ा सवाल है कि बंजारे कहाँ से आये?? और भी बंजारा जाति से रिलेटेड कई जानकारी जानेंगे इसलिए निवेदन की आप हमारे साथ बने रहे
बंजारा जाति की उत्पत्ति कैसे हुई(Banjara Jati ki utpati??)
इसी संदर्भ में एक पौराणिक कथा प्रचलित है कि भगवान शंकर ने अपने संकल्प से अनेकों प्रकार प्रकार के गणों की सृष्टि की उन गणों में से पांच गण बड़े सुंदर स्वरूप गौरव वर्ण, पराक्रमी बड़े तेजस्वी हाथों में धनुष-बाण,भाला, बरछी , गदा, कृपाल आदि आयुध लिए प्रकट हुए जिन्हें देख भगवान शिव जी उनकी सुंदरता पर अत्यंत प्रसन्न हो उन्हें गौर की उपाधि देकर अपने नंदीश्वर और सिंह की देखभाल करने तथा गृह कार्य की आवश्यक वस्तुओं की व्यवस्था करने का कार्य सौंप कर अन्य गणों में उनको नायक यानी मुखिया बना दिया
यह देखकर वह लोग भगवान शिव गौरी की स्तुति करते हुए अपने कार्य को बड़ी तत्परता के साथ सुचारु रुप से करने लगे एक समय इंद्र की अप्सराएं आकर शिवजी के आश्रम से मैं सरोवर में स्नान करने लगी उन गणों ने उन्हें वहां स्नान करने से मना किया किंतु वो उनकी बात पर कोई ध्यान ना दे कर स्नान करती रही अंत में उन गुणों ने उन्हें लाकर शिवजी के सम्मुख उपस्थित करके
सारा वृतांत कहा शिवजी ने भी उन्हें समझा-बुझाकर भविष्य में उन्हें वहां स्नान ना करने का आदेश दिया। कुछ दिनों के बाद फिर वही अप्सराएं चुपके से वहां आकर सरोवर में स्नान करने और क्रीड़ा करने लगी।
गणों ने फिर उन्हें लाकर शिवजी के सामने हाजिर किया और कहा कि भगवान यह वही अप्सराएं हैं जिन्होंने आपकी आज्ञा का उल्लंघन किया है।
शिवजी ने उन अप्सराओं के साथ उन गणों का विवाह विवाह कर दिया और उन अप्सराओं के सिर पर लकड़ी की कीली मंत्रित करके उन अफसरों के सिर के बालों में बांधी जिससे वे पुनः वापस इंद्रलोक में ना जा सके
इन गणों को आशीर्वाद देकर कहा कि तुम बेल के द्वारा ही अपनी जीविका का उपार्जन करो यही एकमात्र तुम्हारे जीवन का अवलम्बन है तब से वे पांचों गण वन में जाकर एक एक पेड़ के नीचे अपनी झोपड़िया बनाकर रहने लगे और बैल पर अन्य वस्त्र आदि आवश्यक वस्तुओं के द्वारा मानव मात्र की सेवा करते अपना जीवन निर्वाह करने लगे
भगवान शिव के पांचों गणों के नाम क्या है जिनसे बंजारा जाति की उत्पति हुई??
शिवजी के वे पांचों गणों के नाम जिनके बंजारा जाति का विस्तार हुआ-
1-गौर कोकरेजी जिन्होंने बड़ के झाड़ के नीचे जाकर अपना तांडा बचाया और आगे चलकर राठौड़ फिर के राजपूत इनमें आकर मिले।
इनकी देवी का नाम कोकरेजी है जिसकी पूजा बड़ के झाड़ के नीचे होती है।
2-गौर आशाजी जिन्होंने नीम के झाड़ के नीचे जाकर अपना तांडा बसाया और आगे चलकर चौहान फिर के राजपूत इनमें आकर मिले।
इनकी देवी का नाम है आशावरी जिनकी पूजा नीम के झाड़ के नीचे होती है
3-गौर नागरची जी जिन्होंने गूलर के झाड़ के नीचे जाकर अपना टांडा बसाया और आगे चलकर पंवार फिर के राजपूत इनमें आकर मिले।
इनकी देवी का नाम नागरेची है जिसकी पूजा गूलर के झाड़ के नीचे होती है
4-गौर ब्रह्माड जी जिन्होंने तुलसी के झाड़ के पास जाकर अपना टांडा बसाया।
और आगे चलकर यदु यानी यदुवंशी राजपूत इनमें आकर मिले।
इनकी देवी का नाम ब्रह्माणी है जिसकी पूजा तुलसी के झाड़ के नीचे होती है
5- गौर भ्रांताण जी जिन्होंने पीपल के झाड़ के नीचे जाकर अपना तांडा बसाया और आगे चलकर तमर फिर के राजपूत इन में आकर मिले।
इनकी देवी का नाम भ्रमताण जी है।
जिसकी पूजा पीपल के झाड़ के नीचे होती है
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