बंजारों को कितने नामों से जाना जाता है?? क्या इन सभी बंजारों की बोली-भाषा ,रहन-सहन, रीति-रिवाज एक जैसी होती है? बंजारे जानवरों के द्वारा अपना व्यवसाय क्यों करते थे??
यह एक बहुत अहम सवाल रहा है क्योंकि भारत में लगभग 20 करोड़ के आस पास बंजारे बताए जाते हैं
बंजारों में भी कई प्रकार के भेद हैं पर ज्यादातर लोग इस बात को नहीं जानते हैं इसलिए आज हम इस पोस्ट के माध्यम से बताने की कोशिश करेंगे कि बंजारों को कितने नामों से जाना जाता है?? क्या सभी बंजारो की बोली-भाषा,रहन-सहन, रीति-रिवाज व संस्कृति एक जैसी है?रे जानवरों के द्वारा अपना व्यवसाय क्यों करते थे?? ये पूरी जानकारी पढ़े और अपना विचार भी साझा करें
बंजारों का जानवरों द्वारा व्यवसाह करना-
भाइयों जैसे कि हम सभी जानते हैं कि बंजारा जाति अनादि काल से ही जानवरों के द्वारा ही अपना व्यवसाय करता रहा है हम एक पोस्ट लिखे थे कि "बंजारों की उत्पत्ति कैसे हुई?"उस पोस्ट में हम बताए थे कि बंजारों की भगवान शिवजी के गणों से हुई थी भगवान शिव जी ने उन्हें नंदीश्वर यानी जानवरों की देखभाल का कार्य सौंपा था तब से बंजारे उन्हीं जानवरों के द्वारा अपना व्यवसाय करने लगे थे उस समय न ही रेलगाड़ियां थी और ना ही आज कल की तरह वाहन थे इसी वजह से बंजारों ने अपना व्यवसाय जानवरों के द्वारा करना शुरू कर दिया था
भाइयों जैसे ही रेलगाड़ियों का अविष्कार हुआ तो बंजारों का व्यवसाय ठप्प हो गया और बंजारे अपना जीवन चलाने के लिए कई प्रकार के अलग-अलग कार्य को अपना लिए जिन्होंने जिस कार्य को अपना लिया उन्हें सरकारी दस्तावेजों में उन्हीं नामों से पुकारा जाने लगा
बंजारों को कितने नामों से जाना जाता है??
दोस्तों अब बात करते हैं कि बंजारों को कितने नामों से जाना जाता है??आपको बता दें कि बंजारों को सरकारी दस्तावेज के हिसाब से 16 नामों से जाना जाता है बंजारों के 16 नाम इस प्रकार हैं-
इन सभी बंजारों की बोली-भाषा, रहन-सहन, रीति-रिवाज एक जैसी होती है
भाईयों इन सभी बंजारों को गौर बंजारों ने अपनी संस्कृति की रक्षा व समाज की व्यवस्था को कायम रखने के लिए कई प्रकार के बंजारों को बनाकर उन्हें अलग अलग कार्य सौंप दिया गयाइन सभी बंजारों की बोली-भाषा, रहन-सहन, रीति-रिवाज, व संस्कृति सब कुछ एक जैसा ही है केवल फ़र्क इतना है कि ये सभी बंजारे गौर बंजारों की तरह अपने टांडे में मुखिया यानि नायक नहीं बनाते हैं और इन सभी बंजारों के पुरुषों को रोटी बेटी व हुक्का-पानी में हिस्सा नहीं दिया जाता है और न ही इन बंजारों को की औरतें चूड़ा रखती हैं
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